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ओरिजिनल लव

""ओरिजिनल लव""

सुबह गहरी नींद में सोए हुए, धर्मेंद्र पर उसकी छोटी बहन, राधा ने एक लोटा पानी डाला और कहा -"ओ मुंगेरीलाल के चेले, कहां सपनों में खोया है, आज सोमवार है, मुझे भोलेनाथ के मंदिर ले चल"!

"बहुत जोर से नींद आ रही है, तू अकेली चली जा"!

"तुझे अच्छे से पता है, मम्मी पापा, मुझे कहीं भी अकेली नहीं जाने देते हैं, तूने ले जाने का वादा किया था, अब ले चल, नहीं तो तेरी सिगरेट वाली वीडियो, पापा को दिखा दूंगी"! राधा ने धमकी देते हुए कहा

"तू बहन है या दुश्मन है, दिन भर धमकी देती रहती है, तु अकेली आ रही है या तेरी सहेलियां भी साथ आ रही है"? धर्मेंद्र ने पूछा

"मेरी सहेलियों के आने ना आने से क्या फर्क पड़ेगा"? राधा ने पूछा

"तेरी सहेली आ रही हो तो नहाकर तैयार होउंगा और नहीं आ रही हो तो, ऐसे ही चलूंगा, हाँ"!

"कोई नहीं आ रही है, ऐसे ही चलो"!

फिर दोनों मंदिर जाने के लिए रवाना होती है तो चंदन कहता है "तेरी सहेली रीना और टीना को भी बुला लेती, बेचारी वह भी दर्शन कर लेती"!

"जितनी फ़िक्र, दूसरों की बहनों की करते हो, उतनी फिक्र अपनी सगी बहन की भी कर लिया करो, राखी बांधने में ही आऊंगी, रीना और टीना नहीं आएगी"! राधा ने कहा

"अरे पागल, बहन की बराबरी दुनिया की दूसरी लड़की नहीं कर सकती है, मैं क्या पागल हूं, जो उनसे राखी बंधवाऊंगा, सुबह-सुबह फोकट बात कर मत कर, मुझसे"!

"नहीं,,,,तुम्हें उनकी ज्यादा फिक्र हो रही है, तो बन जाओ उनके भाई"! राधा ने गुस्से में कहा

"तू तिल का ताड़ और राय का पहाड़ बना देती है, तुझसे बात करना ही बेकार है"!

"कभी मेरी जगह लेकर देखो, जब किसी का भाई उसकी बहन के सामने, दूसरों की बहन की तारीफ करता है तो उसे कैसा लगता है"?

"अब चुप हो जा  तुझे भोलेनाथ की कसम"! धर्मेंद्र ने कहा

फिर दोनों भाई-बहन पहाड़ पर कई सारी सीढ़ियां चढ़कर मंदिर आते हैं और पूजा पाठ करके वापस नीचे आते हैं तो दोनों थक जाते हैं

तब राधा कहती है -"भैया मेरी सेंडल तो ऊपर ही रह गई"!

"तो क्या हुआ, जाकर वापस ले आओ"! धर्मेंद्र ने कहा

"तुम भाई हो या कसाई हो, तुम्हें दिख नहीं रहा, मैं इतनी सारी सीढ़ियां चलकर थक गई हूं, अब वापस गई तो मेरी जान निकल जाएगी, तुम जाओ और फटाफट से मेरी सेंडल लेकर आओ, लाल कलर की है"! राधा ने कहा

"अरे,,,थोड़ा सा तो तरस खाओ, अपने दुबले पतले भाई पर, कच्ची नींद में उठाकर यहां ले आई और बार-बार पहाड़ चढ़वा रही है"!

"नयी सेंडल है मेरी, कल ही खरीदी है, तुम जाओगे या नहीं, साफ-साफ बता दो"! राधा ने पूछा

"नहीं, नहीं, पर टेंशन मत ले, कल इससे अच्छी सैंडल दिला दूंगा"! धर्मेंद्र ने लालच देते हुए कहा

कभी चव्वनी की चीज दिलाई है मुझे, लगता है अब तुम्हारी सिगरेट वाली वीडियो पापा को दिखानी ही पड़ेगी"! राधा ने धमकी देते हुए, मोबाइल का लॉक खोला

"अरे,,,रुक, रुक, एक छोटी सी सिगरेट के लिए इतनी सारी सीढ़ियां चड़नी पड़ेगी, पहले पता होता तो कभी भी नहीं पीता, तू यहां आराम से बैठ, मैं अभी गया ओर तेरी सैंडल लेकर आया"!

धर्मेंद्र वापस सीढ़ियां चढ़कर ऊपर आता है तो उलझन में फंस जाता है, क्योंकि वहां लाल कलर की दो जोड़ी सैंडल है और वह दोनों ही नयी है धर्मेंद्र सोचता है -"इनमें मेरी बहन की कौन सी सैंडल है, इन पर तो नाम भी नहीं लिखा है, दोनों जोड़ी ले चलता हूं  बहन खुश हो जाएगी"!

यह सोचकर वह दोनों जोड़ी सैंडल उठाकर, चुपके से वापस, अपनी बहन के पास आता है और दोनों जोड़ी सैंडल उसके सामने लाकर रख देता है

"अरे,, यह एक जोड़ी सैंडल और किसकी उठा लाया"! राधा ने अपनी सैंडल लेते हुए कहा

"हनुमान जी, जब संजीवनी बूटी लेने गए थे तो कंफ्यूज हो गए थे, इसीलिए वह पूरा पहाड़ उठा लाए थे, मैं भी कंफ्यूज हो गया, इसलिए दो जोड़ी उठा लाया  इसमें तेरा ही फायदा है, एक जोड़ी के साथ, एक फ्री"! धर्मेंद्र ने कहा

"हनुमान जी, वापस पहाड़ को हिमालय रखने भी गए थे, इसीलिए अब तू भी यह एक जोड़ी सैंडल वापस रखने जा, मंदिर से चप्पल चुराना, बहुत बुरी बात है, भोलेनाथ नाराज हो जाएंगे और वैसे भी मैं किसी की उतरन पनौती नहीं पहनती हूं"! राधा ने स्पष्ट कहा

"नहीं पहनना है तो तेरी किसी सहेली को दे देना और कहना  मैंने लाकर दी है"! धर्मेंद्र ने कहा

"तुझे मेरी सहेलियों की बड़ी फिक्र है, चुपचाप चला जा, नहीं तो यह चोरी वाली बात भी पापा को बता दूंगी"! राधा ने फिर धमकी देते हुए कहा

"देख बहना, ध्यान से सुनना  वापस ऊपर, में ना तो आज जाऊंगा, ना कल जाऊंगा, तुझे सैंडल लेना हो तो ले नहीं तो रास्ते में फेंक देना"! धर्मेंद्र ने कहा

"अरे,, पाप लगेगा हमें और अगर भोलेनाथ नाराज हो गए तो उनकी तीसरी आंख खुल जाएगी और हम दोनों भस्म हो जाएंगे  इसलिए कह रही हूं, इज्जत से चला जा"!

"ठीक है,,,जा रहा हूं और शाम तक वापस ना आउं तो चार लोगों को मुझे लाने, भेज देना"! धर्मेंद्र ने जाते हुए कहा

धर्मेंद्र बड़ी मुश्किल से फिर बहुत सारी सीढ़ियां चढ़कर वापस ऊपर आता है और इधर-उधर देखकर, चुपके से जेब में से सैंडल निकालता है और नीचे रखता है तभी उसे एक लड़की देख लेती है

"मंदिर से लड़कियों की चप्पल चोरी करता है, "चप्पल चोर"! "तुझे शर्म नहीं आती, आधे घंटे से पागलों की तरह  मेरी सेंडल ढूंढ रही हूं, तुम जैसे लोगों के ही कारण ही, लोगों ने चप्पल पहनकर, मंदिर आना बंद कर दिया है"! उस लड़की ने चिल्लाते हुए कहा

धर्मेंद्र ने जैसे ही उस लड़की को देखा, तो देखता ही रह गया, कुछ क्षण के लिए, वह सब कुछ भूल गया, उसे ना तो लड़की की गलियां सुनाई दे रही थी और ना ही अपनी सफाई में कुछ कह पाया, क्योंकि उसे लगता था, वह इस लड़की की यह गलतफहमी, एक सेकंड में दूर कर देगा, इसीलिए उसने हंसते हुए कहा

"अरे,,मैं चोर नहीं हूं, दरअसल"!

"तेरी शक्ल पर लिखा है, तु पक्का चोर है, मैंने अपनी आंखों से तुझे सैंडल को जेब में भरते देखा"! लड़की ने धर्मेंद्र की बात काटते हुए कहा

"अरे,,,सैंडल जेब में भर नहीं रहा था, जेब से निकाल रहा था"! धर्मेंद्र ने बताया

"ज्यादा चालाक मत बन, नहीं तो चप्पल ही चप्पल दूंगी, भिखारी कहीं का, एक तो चोरी करता है और ऊपर से सीना जोरी भी करता है"! लड़की ने कहा

"प्लीज, ,,1 मिनट चुप रहकर, मेरी बात सुन लो"! धर्मेंद्र ने प्रार्थना की

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